जानिए:आजादी के बाद पहली बार कहाँ फहराया गया तिरंगा

आजादी के बाद पहली बार फहराया गया तिरंगा

अमृत महोत्सव पर विष पीने को मजबूर हैं ग्रामीण

बाँदा, संपूर्ण भारतवर्ष स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव का जश्न मना रहा है,वहीं अब तक स्वतंत्रता की वर्षगांठ एवं तिरंगा फहराए जानें से महरूम चौकिन पुरवा में पहली बार 15 अगस्त,स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराया गया।

अतर्रा तहसील अंतर्गत 1913 में बसे हुए इस गाँव चौकिन पुरवा के निवासी 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने पर भी अपने गांव में तिरंगा नहीं फहरा पाए थे,क्योंकि वो भारत की आजादी से उस समय तक अनभिज्ञ थे,तब उस गांव में किसी को भी नहीं पता था कि हमारा देश आजाद हो चुका है और ना ही कोई शख्स उस गांव में पहुंचा जो उन्हें यह बता सके की हम आजाद हो चुके हैं ताकि वहाँ तिरंगा फहराकर आजादी की खुशियां मनाई जा सकती परंतु विडंबना और दुर्भाग्य यह रहा,कि किसी भी राजनैतिक दल के बंदे तथा किसी भी सरकार के नुमाइंदे आजतक इस दलित गांव में नहीं पहुंचे,जो वहां आजादी का जश्न मना राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते इन ग्रामीणों के बीच।

आजादी के अमृत महोत्सव पर इस वर्ष कुछ समाजसेवी इकबाल खान,जावेद अंसारी,बबलू एवं नसीर चौकिन पुरवा गांव पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों को स्वतंत्रता दिवस एवं राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के प्रति जागरूक किया और साथ मिलकर स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया। जिसमें राष्ट्रगान,आजादी के गीत सहित गांव के अंदर तिरंगा पदयात्रा भी निकाली गई और भारत माता की जयकार से पूरे गांव को तिरंगामय बना दिया।

स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों के पश्चात ग्रामीणों का दर्द भी छलक पड़ा उन्होंने बताया,कि देश अमृत महोत्सव मना रहा है परंतु हम इस अमृत महोत्सव में विष का घूंट पीए बैठे हैं,हम 5 पीढ़ियों से जिन मकानों में रह रहे हैं उस जमीन को ग्राम सभा की जमीन बताकर हमें घर खाली करने की प्रशासन ने नोटिस जारी कर दिया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अमृत महोत्सव तक सबको घर देने का वादा किया था,परंतु घर तो दूर रहा,प्रशासन हमारी झोपड़ियाँ ही उजाड़ने पर आमादा है।उन्होंने बताया कि अब तक गांव में पहुँचने का मार्ग तक सही नहीं है,गांव के बच्चे शिक्षा से वंचित है,कहीं से जल निकासी न होने के कारण गांव में पानी भरा है,सफाईकर्मी कभी गांव नहीं आतें हैं,मनरेगा में 1 साल से पैसे का काम नहीं मिला है,गांव के अधिकांश युवा पलायन कर गए हैं और कुछ पलायन करने की तैयारी में हैं,दलित ग्रामीणों ने सजल नेत्रों से कहा की,हम अमृत महोत्सव तो नहीं मना पा रहे हैं,परंतु परेशानियों का विष पीने को मजबूर हैं।

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