अक्षय नवमी पूजन वृत एवं कथा
बाँदा,महिलाओं ने रविवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ अक्षय नवमी का पर्व मनाया,जिसे इच्छा नवमी के नाम से भी जाना जाता है।इस अवसर पर महिलाओं ने आंवले के वृक्ष की पूजा कर पति की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
अक्षय नवमी का महत्व एवं मान्यता
अक्षय नवमी का पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो अपने परिवार की समृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए आंवले के वृक्ष की पूजा करती हैं।मान्यता है,कि इस दिन आंवले के वृक्ष पर भगवान विष्णु का वास होता है, और सभी देवता उनकी स्तुति करने के लिए वृक्ष पर एकत्र होते हैं।ऐसी भी मान्यता है कि जो लोग इस दिन आंवले की पूजा करते हैं,उन्हें इच्छित वरदान प्राप्त होता है।
पूजा सामग्री व विधि
अक्षय नवमी के दिन महिलाएं सुबह स्नान करके नए वस्त्र पहनती हैं और पूजा की सामग्री लेकर बाग-बगीचों या मंदिरों में स्थित आंवले के वृक्ष के पास पहुंचती हैं। वे आंवले के वृक्ष को रोली,अक्षत,फल,पुष्प, मिष्ठान आदि से सजाकर उसकी पूजा करती हैं।वृक्ष की पूजा करने के बाद महिलाएं उसके चारों ओर धागा लपेटती हैं,जिससे वृक्ष और उनकी कामनाओं का एक प्रतीकात्मक संबंध बनता है।
अक्षय नवमी की कथा एवं शुभ फल
अक्षय नवमी से जुड़ी एक प्रमुख कथा के अनुसार,प्राचीन काल में एक धर्मपरायण ब्राह्मण और उसकी पत्नी अपने जीवन को सद्गुण और धर्म के पथ पर चलते हुए व्यतीत कर रहे थे।परंतु संतानहीन होने के कारण उन्हें अपने जीवन में निराशा का सामना करना पड़ रहा था।एक दिन वे किसी संत के पास पहुंचे,जिन्होंने उन्हें अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने की सलाह दी।संत के कहे अनुसार, दोनों पति-पत्नी ने श्रद्धा और विश्वास के साथ अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की।उनके इस अनुष्ठान से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।इस कथा से यह विश्वास प्रबल हुआ कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक मान्यता
आंवले का वृक्ष भारतीय संस्कृति में बहुत पवित्र माना जाता है।इसके फल,पत्ते व तना औषधीय गुणों से युक्त होते हैं और धार्मिक कार्यों में इसका विशेष स्थान है। यह वृक्ष दीर्घायु,समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।इसलिए महिलाएं आंवले के वृक्ष की पूजा करके अपने पति और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।
उपवास एवं प्रसाद ग्रहण
पूजा संपन्न होने के बाद महिलाएं आंवले के वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और पूजा में रखे प्रसाद को आपस में बांटकर ग्रहण करती हैं।इस दिन व्रत रखने का भी महत्व है, और पूजा समाप्ति के बाद ही महिलाएं अपना उपवास खोलती हैं।
अक्षय नवमी का यह पर्व महिलाओं की भक्ति,उनके धैर्य व परिवार के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है।आंवले के वृक्ष की पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है,बल्कि यह हमारी परंपराओं और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का भी एक माध्यम है।