अवैध खनन पर कार्रवाई तेज,लेकिन मरौली खंड 5 पर प्रशासन की चुप्पी पर सवाल ?
बाँदा,जनपद में अवैध खनन और उसके जरिए सरकारी राजस्व की हानि को लेकर जिलाधिकारी के निर्देश पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।बाँदा और पैलानी तहसील क्षेत्र की मोरम खदानों में अवैध खनन के मामले उजागर होने पर चार खदानों पर जांच और जुर्माने की कार्रवाई की गई। यह कार्रवाई गंछा, बेंदा खादर, मडौली और खपटिहा मोरम खदानों में अवैध खनन की पुष्टि के बाद की गई है।इन खदानों में खनन पट्टों की सीमा से बाहर जाकर खनन किया जा रहा था।
हालांकि,प्रशासन की यह सक्रियता मरौली खंड 5 पर आकर ठहर जाती है।मरौली खंड 5 मोरम खदान के खिलाफ कई बार किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया है।किसानों का आरोप है कि खदान संचालक खुलेआम अवैध खनन कर रहे हैं और परिवहन के जरिए उनकी फसलें उजाड़ रहें हैं,लेकिन उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही।इस खदान में हो रहे अवैध खनन को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस खदान के संचालक को किसका संरक्षण प्राप्त है,जिसके चलते प्रशासन भी कार्रवाई करने से पीछे हट रहा है।
अवैध खनन की सच्चाई
जिलाधिकारी के निर्देश पर खदानों का निरीक्षण किया गया,जिसमें कई स्थानों पर खनन पट्टों की सीमा से बाहर जाकर खनन किए जाने की पुष्टि हुई।इस अवैध खनन के लिए संबंधित खनन पट्टेदारों पर जुर्माना लगाया गया है।लेकिन मरौली खंड 5 में कार्रवाई न होना प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
किसानों ने मरौली खंड 5 में अवैध खनन के खिलाफ कई बार आवाज उठाई।उनका कहना है,कि अवैध खनन से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है,बल्कि खेती योग्य भूमि भी बर्बाद हो रही है।इसके बावजूद,खदान संचालक प्रशासन की आंखों के सामने अवैध खनन जारी रखे हुए हैं।
सरकारी राजस्व को नुकसान और नीति का उल्लंघन
बालू माफिया अवैध खनन और परिवहन के जरिए सरकारी राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) और उत्तर प्रदेश खनन नीति के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।सरकार द्वारा बनाई गई खनन नीति में पर्यावरण संरक्षण और राजस्व की रक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है। इसके बावजूद,स्थानीय स्तर पर इस नीति का पालन करवाने में प्रशासन विफल नजर आ रहा है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल ?
जिलाधिकारी द्वारा अवैध खनन पर कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए गए हैं।लेकिन मरौली खंड 5 जैसे संवेदनशील क्षेत्र में कोई कदम न उठाना यह दर्शाता है,कि कहीं न कहीं इस खदान के संचालक को विशेष संरक्षण प्राप्त है।जनता और किसान प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं कि आखिर मरौली खंड 5 पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
जनता की अपेक्षा
जनपद की जनता और किसान उम्मीद कर रहे हैं कि जिलाधिकारी अवैध खनन के खिलाफ ठोस कदम उठाएंगे।अवैध खनन में लिप्त सभी खदान संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए,कि सरकारी राजस्व और पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान न हो।
निष्कर्ष
अवैध खनन एक गंभीर समस्या बन चुकी है,जो न केवल पर्यावरण को प्रभावित कर रही है,बल्कि सरकारी खजाने को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रही है।जिलाधिकारी के नेतृत्व में हुई कार्रवाई एक सकारात्मक कदम है,लेकिन मरौली खंड 5 पर कार्रवाई न होना एक बड़ी चुनौती है।लोगों को उम्मीद है,कि प्रशासन इस दिशा में जल्द ही ठोस कदम उठाएगा और दोषियों को सजा दिलाएगा।