बाँदा,पैलानी निवासी शिक्षक की विधवा ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन को पत्र भेजकर इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की माँग की है।
बेसिक शिक्षा विभाग के निरंकुश अधिकारियों की हठधर्मिता से परेशान स्वर्गीय मेवालाल गुप्त जो जूनियर हाई स्कूल अमलोर में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत थे तथा विकलांग भी थे,जिनकी मृत्यु सेवाकाल में ही 2 सितंबर 1976 को हो गई थी,उनकी विधवा पत्नी शांति देवी गुप्ता,निवासी पैलानी को आज तक पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है।
शांति देवी ने पत्र में लिखा है,कि 1986 तक कुछ महीनों की पेंशन देने के बाद बिना किसी सूचना के मेरी पारिवारिक पेंशन बंद कर दी गई थी,तब से आज तक लगातार वित्त नियंत्रक उत्तर प्रदेश प्रयागराज तथा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं वित्त लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा से पेंशन देने के लिए गुहार लगाते लगाते थक गई हूंँ।
वृद्धावस्था के कारण मेरे कमर की हड्डी दौड़-धूप में गिर जाने के कारण टूट गई है,जिससे मैं अब चलने फिरने में भी असमर्थ हूंँ,शांति देवी ने बताया,कि पेंशन निदेशालय उत्तर प्रदेश लखनऊ में भी 4 नवंबर 2008 एवं 10 अप्रैल 2015 को प्रकरण के निस्तारण हेतु जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बाँदा को निर्देशित किया गया था।
इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया पेंशन देने के लिए नियम भी हैं,शासनादेश भी हैं,जिनके तहत बाँदा जिले में ही कई शिक्षक पत्नियों को पारिवारिक पेंशन का लाभ मिल रहा है,लेकिन जानबूझकर मुझ विधवा को पेंशन नहीं दी जा रही है।
इसलिए मैंने न्याय प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को यह पत्र लिखकर माँग कर रही हूंँ,कि मेरे साथ न्याय किया जाए मुझे परिवारिक पेंशन दिलाई जाए,या ऐसा न होने की दशा में मुझे इच्छा मृत्यु की अनुमति मुख्यमंत्री प्रदान करें।
मेरी मृत्यु के बाद मेरी मृत्यु का जिम्मेदार वित्त नियंत्रक उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बाँदा व वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा बाँदा को माना जाए एवं इन पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।