चित्रकूट में आयोजित जिला स्तरीय जल चौपाल में बरुआ नाला के सीमांकन,खुदाई व वृक्षारोपण का कार्य प्राथमिकता के साथ कराए जाने का निर्णय लिया गया।
चित्रकूट,वाटरएड एवं ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस के संयुक्त तत्वाधान में जिला स्तरीय जल चौपाल समारोह का आयोजन रैन बसेरा सभागार सीतापुर-चित्रकूट में आयोजित किया गया,जिसमें स्थानीय सहयोग संस्था अभियान अतर्रा का रहा।इस समारोह में कर्वी एवं पहाड़ी ब्लाक के विलेज वॉश फोरम,स्वैच्छिक कार्यकर्ता एवं जिला वॉश फोरम के लगभग 120 सदस्यों ने कार्यक्रम में भागीदारी की। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल संचयन एवं संग्रहण हेतु खेत तालाब निर्माण को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सांसद आर0 के0 सिंह पटेल उपस्थित रहे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला वॉश फोरम चित्रकूट के आलोक द्विवेदी द्वारा की गयी तथा वाटरएड से सरजिल खान उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन श्रीमती ममता वर्मा द्वारा किया गया।
मुख्य अतिथि आर0के0 सिंह पटेल सांसद द्वारा कहा गया,कि भारत सरकार जल एवं स्वच्छता के मुद्दे पर 2014 से तेजी के साथ काम कर रही है।जिसमें जागरूकता अभियान के कार्यक्रम में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है।पानी के क्षेत्र में काम कर रहे उमाशंकर पाण्डेय को पद्मश्री पुरुस्कार दिया जाना बुन्देलखण्ड के साथ-साथ देश के लिए एक गौरव की बात है।खेत में मेढ़,मेढ़ में पेड़ की परम्परा,पानी के संरक्षण हेतु बहुत ही प्रभावी रही है।हमारे नदी व नालों के किनारे आम, नीम, जामुन, पीपल, बरगद, गुलर, अर्जुन, पलाश आदि के पेड़ बहुत पाये जाते थे,जो हमारे जीवन के लिए उपयोगी व दिर्घायु वाले होते थे।
नदी तालाब हमारे जीवन से जुड़े रहे हैं। लेकिन भौतिकवाद स्वीमिंग पुल बनाने का काम हो रहा है,जबकि तालाब ही हमारे स्वीमिंग पुल होते थे,पेड़ो की अधिकांशत होने से जल स्रोतों में पानी की कमी नहीं हो पाती थी।पहले लोग तालाबों की सफाई व खुदाई के लिए एकजुट होकर काम करते थे,परंतु आज तालाबों में पानी जाने के रास्तों पर अतिक्रमण हो गया है।इसलिए पहले सभी के रास्तों के अतिक्रमण को हटाया जाये।इसमें समुदाय की भागीदारी जरूरी है।
सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद में 75-75 अमृत सरोवर बनाये गये है तथा खेत तालाब की योजना भी चल रही है,कृषि क्षेत्र में पानी को बचाने के लिए आज प्राकृतिक खेत व मोटे अनाज के उत्पाद पर सरकार का विशेष ध्यान है। बरूवा नाला के सीमांकन एवं खुदाई का काम मनरेगा से कराया जाये। आज सब लोगों को प्रकृति के बचाव व संरक्षित करने के लिए एकजुट होने की जरूरत है।चौपाल में सांसद द्वारा जल एवं स्वच्छता के मुद्दे पर एक शपथ भी दिलाई गयी।
संस्था अभियान के निदेशक अशोक कुमार ने जल चौपाल पर बोलते हुये कहा,कि आज पूरी दुनिया विकास और प्रगति को लेकर पागल हो रही है,यह विकास और प्रगति केवल भौतिकवाद पर आधारित है।हमारी प्रकृति विकास और प्रगति को एक सीमा तक ही स्वीकार करेगी दुनिया में जो भी भूकंप बाढ़ सूखा व जलवायु परिवर्तन कोरोना जैसी महामारी प्रकृति के खतरे वाले संकेत है।प्रकृति को बचाने का काम गाँव से ही आरंभ होता है।हमारे प्रकृति की दी हुई अनमोल चीजें है,विशेषतः जल जंगल जमीन व जानवर हमें अपनी सोच में परिवर्तन करके सामूहिक रूप से गाँव को प्राकृतिक रूप से मजबूत करते हुए अपने जीवन व आजीविका को आधार देना है।
वाटरएड लखनऊ के सरजिल खॉन ने बताया,कि वाटरएड 35 वर्ष से जल संरक्षण,जल एवं स्वच्छता के मुद्दे पर काम कर रहा है।स्वच्छ भारत मिशन में सी एल टी एस के माध्यम से लोगों को शौचालय निर्माण व प्रयोग हेतु लोगों को प्रेरित करने का काम किया गया है।उन्होंने बताया,कि भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति की आवश्यकता होती है,जल को संरक्षित करने के कई माध्यम हो सकते है, जैसे मेढबंदी खेत-तालाब कन्टूर ट्रंच छत-वर्षा जल संग्रहण।
जिला वॉश फोरम चित्रकूट के आलोक द्विवेदी ने कहा,कि हमारे परम्परागत जल स्रोतों का जल स्तर बहुत तेजी से घट रहा है या तो वह सुख गए है या फिर उनका पुर्नउत्थान करने की आवश्यकता है।शासन द्वारा जल संरक्षण हेतु खेत-तालाब निर्माण हेतु 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है जिसका उपयोग किसानों को अपनी कृषि को फायदेमंद बनाने का काम करना चाहिए,साथ ही मेढ़ों पर वृक्षारोपण का कार्य करें,जिससे मृदा का कटान रुकेगा।जिससे खेतों में नमी बनी रहेगी व भूमि उपजाऊ होगी और उत्पादकता में वृद्धि होगी।
कार्यक्रम में उपस्थित जिला वॉश फोरम के शंकर दयाल पयासी श्रवण कुमार दुर्गा प्रसाद सुनील कुमार श्रीमती रेनू शुक्ला मनीष कुमार अनिल कुमार व राजमन विश्वकर्मा ने भागीदारी कर अपने अपने अनुभव व विचार रखें।