नई दिल्ली,दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में बच्चे जोखिम वाली परिस्थितियों में ज्यादा रहते हैं,जिसके चलते उनमें बाद में वे सेक्सुअली हिंसक हो जाने के पूरे आसार रहते हैं।यह जानकारी 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी एक रिपोर्ट में सामने आई है।
यह स्टडी इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वूमन तथा दो अन्य संगठनों ने सयुक्त रूप से मिलकर किया है।अध्ययन में पता चला है,कि लगभग 24.5 फीसदी भारतीय पुरुष ने किसी न किसी समय यौन हिंसा में लिप्त रहे हैं,इनमें से अधिकांश ने अपने अंतरंग एवं खास साथी के साथ इस अपराध को अंजाम दिया होगा।
अध्ययन में यह भी बात सामने आई कि इन अपराधों में रवांडा,मैक्सिको, क्रोएशिया और चिली जैसे देशों की तुलना में भारत बहुत आगे है।अध्ययन के अनुसार भारतीय युवाओं में छेड़छाड़ और यौन दुर्व्यवहार समेत यौन आक्रामकता सबसे ज्यादा पाई जाती है।वैसे,दुष्कर्म जैसी घटनाओं के लिये उकसाने के लिए एल्कोहल का सेवन भी दूसरा बड़ा कारण बना।
अध्ययन के लिए भारत के दिल्ली और विजयवाड़ा शहर में 18 से 59 वर्ष की उम्र के लगभग 2000 युवाओं पर अध्ययन किया गया।इन युवाओं से दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म,एल्कोहल के प्रभाव में किये गए यौन अपराध से संबंधित प्रश्न पूछे गये।
इस रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों के तुलना में उन लोगों में यौन आक्रामकता ज्यादा दिखी जिनमे यौन उपेक्षा का सामना करना पड़ा हो या जिन्हें बच्चा कह कर अपमानित किया गया हो।
34 फीसदी ऐसे मामले थे,जिन्हें बचपन में यौन संबंधी अपशब्दों का सामना करना पड़ा था, वहीं 36.8 फीसदी ऐसे थे जिन्हें यौन उपेक्षा का शिकार होना पड़ा।
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर रोज करीब 90 महिलाओं के साथ दुष्कर्म होता है।वैसे, स्टडी से प्राप्त आंकड़े किसी भी रूप में यौन अपराधों के शैक्षिक स्तर,रोजगार,उम्र या वैवाहिक स्थिति से इन अपराधों का कोई संबंध नहीं हैं।
भारत में पति और पिता किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना में अधिक यौन अपराधों को अंजाम देते हैं।
स्टडी में दुष्कर्म और यौन हिंसा को कम करने के लिये विद्यालय स्तर पर लिंग संवेदनशीलता और प्रत्येक उम्र वर्ग के लिये अहिंसक जीवनशैली को बढ़ावा दिया जाना लाजिमी होगा।