बिजली विभाग को क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर बदलकर नए रखवाने पड़ते हैं।जिले में ट्रांसफार्मरों में तेल चोरी की सबसे अधिक घटनाएं चिल्ला,पैलानी,तिंदवारी,जसपुरा थाना क्षेत्रों में हुई हैं।चोरों ने राजकीय व प्राइवेट नलकूपों को निशाना बनाया जाता है।
फसलों की सिंचाई में पड़ रहा व्यापक असर
राजकीय नलकूपों में भारी क्षमता के मोटर पंप लगने से इनमें कम से कम 65 केवी के ट्रांसफार्मर लगाए जाते हैं।विद्युत अभियंताओं के मुताबिक एक ट्रांसफार्मर में 150 लीटर तेल आता है,जबकि प्राइवेट नलकूपों के छोटे ट्रांसफार्मर में 80 लीटर तेल भरा जाता है।
जिले में खराब ट्रांसफार्मर बदलने का काम बिजली विभाग की मेंटेनेंस यूनिट करती है।अवर अभियंता रविकांत ने बताया,कि इस वर्ष जिले में करीब 300 ट्रांसफार्मरों से तेल चोरी हुआ है।
कई ट्रांसफार्मर तेल निकालने के बाद नलकूप चलाने से फुंक कर कबाड़ हो गए।विभाग की माने तो चालू वित्तीय वर्ष में ट्रांसफार्मरों से 45 हजार लीटर तेल चोरी हुआ है।इसकी कीमत करीब 50 लाख रुपये है।
इसके अलावा दूसरा ट्रांसफार्मर पहुंचाने और क्षतिग्रस्त एक ट्रांसफार्मर वापस लाने में ठेकेदार को प्रति पांच हजार रुपये का भुगतान करना पड़ा।इसके अलावा ट्रांसफार्मरों की मरम्मत और दोबारा तेल डालने में 60 लाख रुपए खर्च होंगे।
इस समस्या से निपटने का हल अभी फिलहाल शासन प्रशासन के पास नहीं है,जो कि चिंतनीय है,क्योंकि अन्नदाता किसान इससे बुरी तरह प्रभावित है जिसका असर आम जनता की जेबों में पड़ रहा है,सरकार को इस विषय में गंभीरता से सोंचना होगा और इस समस्या के हल के लिए कारगर कदम उठाना पड़ेगा।