निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल जनहित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई।जबकि समय की कमी के चलते सुनवाई पूरी नहीं हो सकी।
कल यानी गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।इसी के साथ न्यायालय ने निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने पर लगाई गई रोक को भी कल तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
करीब 2:45 से शुरू हुई बहस के दौरान याचियों की ओर से दलील देते हुए अपना पक्ष रखा,कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है,इसका सामाजिक,आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है,वस्तुतः ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना बहुत ज़रूरी है।
मंगलवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कहा गया ,कि ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में अभी तक माँगे गए सारे जवाब दाखिल कर दिए गए हैं।
इस पर याचियों के वकीलों ने आपत्ति दर्ज करते हुए सरकार से विस्तृत जवाब माँगे जाने का निवेदन किया,जिसे कोर्ट ने नहीं माना।जिसके बाद बुधवार को भी सुनवाई हुई।
राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा,कि निकाय चुनाव के मामले में 2017 में हुए ओबीसी के सर्वे को ही आरक्षण का आधार माना जाए।साथ ही इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए।उधर ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण दिए जाने के मामले में नगर विकास विभाग के सचिव रंजन कुमार ने हलफनामे में कहा,कि इन्हें चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
उधर,सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने इस मामले को सुनवाई के बाद जल्द निस्तारण किए जाने का निवेदन किया।कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों से कहा है,कि वह पूरी तैयारी से कोर्ट में आएं।