बाँदा।आजतकहिंदी. कॉम। जिला मुख्यालय के मध्य में स्थित माँ महेश्वरी देवी का विशाल मंदिर देवी शक्तिपीठों में से एक है।यहाँ माँ महेश्वरी देवी पत्थर की शिला के रूप में प्रकट हुई थी,जिनके दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग आते हैं और भक्तों की हर मुरादें होती है पूरी।शारदीय व चैत्र नवरात्र मेंं यहाँ विशाल मेला लगता है।
इतिहास के झरोखों में जायें तो जहाँ आज प्रसिद्ध महेश्वरी देवी मंदिर है,वहाँ पहले बलखण्ड पाताल नाम का घना जंगल था। उस समय बांदा के नाम पर छोटी बाजार, खुटला व अर्दली बाजार था बाकी स्थान जंगल था,जहाँ आज कलेक्टर गंज है वहाँ एक तालाब था।कुम्हार इसी तालाब से बर्तन बनाने को मिट्टी ले जाते थे।
कहा जाता है,कि एक कुम्हार को मिट्टी की खुदाई करते समय देवी की प्रतिमा प्राप्त हुई थी,जो एक शिला के रूप में थी और शिला काफी गहराई में दबी थी। जहाँ की चारो तरफ से मिट्टी हटाई गई।इसी देवी प्रतिमा की लोग पूजा करने लगे।आजकल नवरात्रि में अष्टमी और नवमी में देवीभक्त गीत गाते है,तो उसमें एक देवी गीत में इसका उल्लेख मिलता है।
"तीसर कुदाली मारी जब कुम्हार ने", "लाल ध्वजा फहराई देई माँ"
बताते है,कि महेश्वरी नामक एक हिन्दू कारीगर था।जो सारा दिन मस्जिद में कार्य करता था।जो निर्माण कार्य में सामग्री बचती थी,तो उसे लेकर वह खुले आसमान के नीचे रखी देवी प्रतिमा के लिए मढ़िया बनाने में जुट जाता था।उस समय अर्दली बाजार कटरा में बेगम साहब की सरांय में बेगम रहती थी।जिनके यहाँ नवाब साहब आते-जाते रहते थे।
एक दिन जब वह बलखण्ड पाताल जंगल से गुजर रहे थे,तब दिये की रोशनी में महेश्वरी को मंदिर के निर्माण में लीन देखा। उन्होंने महेश्वरी से कहा,कि कल से तुम पहले इस मंदिर का निर्माण करो मस्जिद निर्माण का कार्य बाद में करना।
इस तरह बाँदा नवाब ने मंदिर निर्माण कराकर बाँदा में हिंदू-मुस्लिम एकता की नींव डाली हालांकि कुछ दिनों बाद आंधी-पानी में महेश्वरी कारीगर का बनाया मंदिर ध्वस्त हो गया था।इस बीच चौधरी पहलवान सिंह के परिवार ने मंदिर का निर्माण कराया।
मंदिर में श्रद्धा व आस्था से पूजन अर्चन करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहाँ माँ महेश्वरी का 24 घंटे अखंड दीप प्रज्ज्वलित रहता है।
मंदिर प्राचीन देवी शक्तिपीठों की तर्ज पर बनाया गया है।मंदिर में जगह-जगह पर छोटे-छोटे देवी देवताओं के मंदिर बने हैं। जिनमें चंदेल व मराठा कालीन नक्काशी की गई है।माँ के दरबार में जो भी मुराद मांगी जाती है वह पूरी होती है।