नोएडा मे 100 मीटर ऊंचा 32 मंजिला ट्विन टावर ढहाया गया
नई दिल्ली।आजतक हिंदी. कॉम। सायरन,धमाका और फिर धुएं का गुबार दरसल नोएडा में सुपरटेक के दो ट्विन टावर ढहा दिए गए,30 और 32 मंजिला ये गगनचुंबी इमारतें पलक झपकते ही मिट्टी में मिल गईं,बटन दबाते ही 9-12 सेकंड के अंदर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फाइनल मुहर लग गई।
ट्विन टावर किया गया ध्वस्त
नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित ट्विन टावर आज दोपहर ढाई बजे जमींदोज कर दिया गया,पलक झपकते ही 3700 किलोग्राम बारूद ने इन इमारतों को ध्वस्त कर दिया,सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17.55 करोड रुपये का खर्च आने का अनुमान है,टावर्स को गिराने का यह खर्च भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ही वहन करेगी,इन दोनों टावरों में कुल 950 फ्लैट्स बने थे और इन्हें बनाने में सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये खर्च किया था।
पलक झपकते ही ध्वस्त हुआ 300 करोड़ का ट्विन टावर
ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया गया है,कुछ देर पहले जहां गगनचुंबी इमारतें थी,वहां अब मलबे का ढेर है, ब्लास्ट के बाद धुएं का जबरदस्त गुबार उठा है,जब कुतुब मीनार से ऊंची इमारतों को ढहाया गया तो मशरूफ ऑफ डस्ट नजर आया,धमाके से पहले सायरन बजाया गया था,इसके बाद एक ग्रीन बटन दबाया गया था,फिर पलक झपकते ही ट्विन टावर मिट्टी के ढेर में तब्दील हो गया।
पलक झपकते ही धूल-धूसरित हो गया ट्विन टावर
नोएडा के सेक्टर 93A में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर जमींदोज कर दिया गया है,3700 किलोग्राम विस्फोटक के जरिए इमारत को ढहाया गया,थोड़ी देर पहले तक कुतुब मीनार से ऊंचा ट्विन टावर दिखाई दे रहा था, जो कि अब मलबे में तब्दील हो चुका है,ट्विन टावर के धराशायी होने बाद धूल का जबरदस्त गुबार उठा,बताया जा रहा है कि करीब दो घंटे तक धूल का गुबार हवा में रहेगा,वहीं आसपास के लोगों को हटाया गया है,हेल्थ इमरजेंसी के मद्देनजर तीन अस्पताल भी अलर्ट पर रखे गए हैं।
जानिए ट्विन टावर का इतिहास?
कहानी 23 नंवबर 2004 से शुरू होती है। जब नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल के 14 टावर बनाने की अनुमति मिली।
कब-कब बढ़ाई गई टॉवरों की ऊंचाई?
जमीन आवंटन के दो साल बाद 29 दिसंबर 2006 को अनुमति में संशोधन कर दिया गया। नोएडा अथॉरिटी ने संशोधन करके सुपरटेक को नौ की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति दे दी। इसके साथ ही टावरों की संख्या भी बढ़ाई गई। पहले 15 और फिर इनकी संख्या 16 हुई। 2009 में इसमें फिर से इजाफा किया गया। 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने फिर से 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया। इसके बाद भी ये अनुमति लगातार बढ़ती गई।
जानिए कौन है-ट्विन टावर का मालिक?
एमराल्ड कोर्ट परियोजना में बने ट्विन टावरों को बनाने वाली कंपनी सुपरटेक लिमिटेड है।यह एक गैर-सरकारी कंपनी है।इस कंपनी को सात दिसंबर, 1995 में निगमित किया गया था। सुपरटेक के फाउंडर आरके अरोड़ा हैं। उन्होंने अपनी 34 कंपनियां खड़ी की हैं।1999 में आरके अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा ने दूसरी कंपनी सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी शुरू की।
12 शहरों में लांच किए सुपरटेक नें अपने प्रोजेक्ट
सुपरटेक ने अब तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा,मेरठ,दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लांच किए हैं।नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इसी साल कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया।कंपनी पर अभी करीब 400 करोड़ का कर्ज बकाया है।
कब शुरू हुआ मामले का खेल?
दो मार्च, 2012 को टावर नंबर 16 और 17 के लिए फिर से संशोधन किया गया। इन दोनों टावरों को 40 मंजिल तक करने की अनुमति दी गई। इनकी ऊंचाई 121 मीटर तय कर दी गई। वहीं दोनों टावरों के बीच की दूरी भी नौ मीटर रखी गई, जबकि यह 16 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
कहाँ-कैसे हुई नियमों की अनदेखी?
सुपरटेक को 13.5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। परियोजना का 90 फीसदी यानी करीब 12 एकड़ हिस्से पर 2009 में ही निर्माण पूरा कर लिया गया था।10 फीसदी हिस्से को ग्रीन जोन दिखाया गया। 2011 आते-आते दो नए टावरों के बनने की खबरें आने लगीं।12 एकड़ में जितना निर्माण किया गया,उतना एफएआर का खेल खेलकर दो गगनचुंबी इमारतों के जरिये 1.6 एकड़ में ही करने का काम तेजी से जारी था।अंदाजा लगाया जा सकता है कि 12 एकड़ में 900 परिवार रह रहे हैं, इतने ही परिवार 1.6 एकड़ में बसाने की तैयारी थी।
किन लोगों ने लड़ी लड़ाई?
फ्लैट बायर्स ने 2009 में आरडब्ल्यू बनाया।इसी आरडब्ल्यू ने सुपरटेक के विरुद्ध कानूनी लड़ाई की शुरुआत की।ट्विन टावर के अवैध निर्माण को लेकर आरडब्ल्यू ने पहले नोएडा अथॉरिटी मे आवाज लगाई।अथॉरिटी में कोई सुनवाई नहीं होने पर आरडब्ल्यू इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। 2014 में हाईकोर्ट ने ट्विन टावर तोड़ने का आदेश जारी किया। इस लड़ाई में यूबीएस तेवतिया, एसके शर्मा, रवि बजाज, वशिष्ठ शर्मा, गौरव देवनाथ, आरपी टंडन,अजय गोयल ने अग्रणी भूमिका निभाई।
सुप्रीम कोर्ट में क्यों पहुंचा मामला?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में सात साल चली लड़ाई के बाद 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुरक्षित रखा।सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर ट्विन टावर को ढहाने का आदेश दिया।
कैसे धराशायी हुआ ट्विन टावर?
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर रविवार दोपहर 2:30 बजे ढहा दिया गया।32 मंजिला एपेक्स (100 मीटर) व 29 मंजिला सियान (97 मीटर) टावर में 3500 किलोग्राम विस्फोटक लगाकर तारों से जोड़ दिया गया।केवल 9 से 12 सेकेंड में ये इमारतें धराशायी हो गयीं।
टावर ध्वस्तीकरण में कितना हुआ खर्च?
करीब 300 करोड़ से अधिक की लागत में बने ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 20 करोड़ का खर्च आने की बात कही जा रही है।यह रकम भी बिल्डर्स से ही वसूली जाएगी।