वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस

वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर

कालिंजर दुर्ग पर जुटे समाजसेवी व जन प्रतिनिधि

वृक्षारोपण कर दी श्रद्धांजलि

कालिंजर : चंदेल वंश की अंतिम शासक कीर्ति सिंह की बेटी और बुंदेलखंड की वीरांगना रानी दुर्गावती का बचपन कालिंजर दुर्ग में बीता। शुक्रवार को बलिदान दिवस पर जनप्रतिनिधियों ने उनकी बहादुरी की बातेें कहीं,उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती की जन्मस्थली होने से कालिंजर दुर्ग दिव्य हो गया है।साथ ही पर्यावरण की पैरवी करते हुए पौधरोपण पर सबने जोर दिया।

कामदगिरि प्रमुख द्वार चित्रकूट के महंत मदन गोपालदास ने कहा कि कालिंजर रानी दुर्गावती की जन्मस्थली होने से दिव्य स्थल है। यह चित्रकूट के चौरासी कोस परिक्रमा में आता है। भगवान राम ने यहां कालिंजर में भी निवास किया।उन्होंने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर चिंता जताई।

पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा ने कहा कि रानी की जन्मस्थली कालिंजर पवित्र स्थल है।यहां पर्यावरण शुद्ध रखने के लिए पौधरोपण जरूरी है। पूर्व विधायक प्रभा शंकर पांडेय ने कहा कि रानी दुर्गावती ने दुश्मन के हाथ न मरकर स्वयं कटार से खुद को मौत के गले लगा लिया था।पर्यावरण कार्यकर्ता उमाशंकर पांडेय ने कहा कि रानी दुर्गावती ने जल संरक्षण के लिए बहुत से तालाब बनवाए थे। 

गोष्ठी को एसडीएम रविंद्र कुमार, रामयश द्विवेदी,पूर्व चेयरमैन विनोद जैन, सानू गुप्ता आदि ने भी संबोधित किया। मंच का संचालन डॉ. आशीष पाठक ने किया।गोष्ठी के बाद दुर्ग स्थित डाक बंगले में पौधरोपण हुआ। यहां भाजपा नेत्री ममता मिश्रा, सदाशिव द्विवेदी, कमलाकांत द्विवेदी, राकेश मिश्रा, अरविंद सिरोलिया, मनफूल पटेल, ग्राम प्रधान दयाराम सोनकर व राजेंद्र श्रीवास आदि उपस्थित रहे।

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