जल संचयन एवं जल संरक्षण के मुद्दे पर जन संवाद

जल संचयन एवं जल संरक्षण के मुद्दे पर
                 जन संवाद 

बाँदा : चित्रकूट धाम मंडल के विभिन्न गांवों से आये ग्रामीण जन समुदाय ने जल संचयन एवं जल संरक्षण के मुद्दे पर आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में  वर्षों से झेल रहे पानी के संकट के कारण उत्पन्न समस्याओं का पिटारा खोला।इस  जन संवाद कार्यक्रम में कुछ चुनिन्दा ग्राम पंचायतों में जल स्रोतों की स्थिति, जल संकट के कारण कृषि एवं पशु पालन पर प्रभाव आदि पर किये गये सर्वेक्षण का प्रस्तुतिकरण भी किया गया।यह सर्वे न केवल स्थिति परिस्थिति को जानने के लिये था परन्तु इस सर्वे में कुछ जागरूक ग्रामीणों ने अपने आस पास के पंचायतों में पद यात्रा के माध्यम से जल संरक्षण के उपायों पर जागरूक करते हुये जल स्रोतों की स्थिति का भौतिक सत्यापन भी किया।साथ ही ग्रामीण समुदाय के साथ बैठकों के माध्यम से जल संकट के कारण उनके रोजमर्रा की जिन्दगी में आ रही तकलीफों, कृषि एवं पशुपालन पर पड़ रहे प्रभाओं को जानने  समझने का कोशिश भी किया गया | बुंदेलखंड का यह क्षेत्र हर दो चार साल में सूखा का मार झेलता है, आजीविका के अन्य साधनों के अभाव में कृषि एवं पशुपालन ग्रामीण समुदाय के लिये आजीविका का मुख्य आधार है।पानी के स्रोत कुआँ, तालाब आदि या तो खत्म से होते जा रहे हैं या फिर उचित देख रेख की अभाव में उनमें 7-8 माह ही पानी उपलब्ध रहता है जो की कृषि एवं मवेशियों के लिये नाकाफी है।पीने के पानी का एक मात्र स्रोत हैण्ड पंप है परन्तु जल स्तर निचे जाने के कारण इसमें भी 7-10 माह ही पानी उपलब्ध रहता है |  पानी के संकट के कारण उनकी कृषि एवं पशुपालन मुख्य रूप से प्रभावित होती है और कोई विकल्प नहीं दिखने की दशा में अपने परिवार के लालन पालन के लिये पलायन को मजबूर होते हैं। 

जन संवाद कार्यक्रम में यह सवाल प्रमुखता से उठा की जल संरक्षण तथा पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने की सरकारी नीति नियमों एवं कार्यकर्मों के तमाम दावों के बावजूद भी इस क्षेत्र में वर्ष भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पाती है | स्थानीय स्तर पर रोजगार का अभाव, कृषि हेतु पर्याप्त सिचाई की व्यवस्था न होना एवं परिवार के भरण-पोषण कि मज़बूरी के कारण  पलायन ही उनके लिये एकमात्र रास्ता बचता है परन्तु इससे बच्चों की शिक्षा एवं परिवार के स्वस्थ पर काफी असर तो पड़ता है, साथ ही साथ पूरा परिवार मानसिक प्रताड़ना का शिकार भी होता है, जिस कारण उत्पन्न  अवसाद में लोग गैर क़ानूनी कार्य यहाँ तक कि आत्महत्या तक के लिए मजबूर हो रहे हैं | इस जल संकट के कारण आम जन जीवन पर बीत  रहे आप बीती को जन समुदाय ने शासन – प्रशासन, मीडिया एवं अन्य हितगामीयों के सामने रखा | अंत में शासन को दिये जाने वाले ज्ञापन का मसौदा पारित हुआ |

जल संकट पर आयोजित मंडल स्तरीय जन संवाद का यह आयोजन जिला पंचायत सभागार, बांदा में हुआ | इसमें चित्रकूट धाम मंडल के चारों जनपदों के लगभग 43 ग्राम पंचायतों से आये लगभग 150 ग्रामीणों ने भागीदारी की 

इसमें महिलाओं की भागीदारी लगभग आधी थी। 

कार्यक्रम की पृष्टभूमि को रखते हुए कासा लखनऊ से गौरव सोनकर ने आज के परिपेक्ष्य में जल संकट के कारण उत्पन्न समस्यों एवं इसके लिये प्रभावी उपायों पर बात की।इसके पश्चात चित्रकूटधाम मण्डल से आये हुए 6 जन संगठनों से आये हुए संगठनों के सदस्यों द्वारा समुदाय में पानी के समस्या के बारे में विस्तार से जानकरी साझा किया।जन संवाद  के पैनल में- कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिलाधिकारी अनुराग पटेल विशिष्ट अतिथि मनरेगा उपायुक्त राघवेन्द्र तिवारी, एवं जिला पंचायत सदस्य सदाशिव एवं जिला मुख्या वक्ता के रूप में जल योध्दा उमाशंकर पाण्डेय  हुए।     

इसी क्रम  में  जल संवर्धन पर लम्बे समय से कार्य कर रहे अभियान संस्था के निदेशक श्री अशोक श्रीवास्तव ने जल संकट के कारण इस क्षेत्र के समुदाय की भीषण गरीबी और बेबसी की तस्वीर खींचते हुए माना कि हालात को बदलने के लिए सबसे पहले समाज को आगे आना होगा।जन संगठनो द्वारा किये गए सर्वे के आधार पर प्राप्त आकड़ों का प्रस्तुतीकरण किया गया प्रस्तुतीकरण के पश्चात जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने जल श्रोत एवं जल संचयन के लिए अब तक कार्यों का प्रस्तुतीकरण व अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा की बुंदेलखंड में वर्षा कम नहीं होती हैं लेकिन पानी का संग्रक्ष्ण न होने के कारण नदी नालो से बह जाता हैं जिसका लाभा समुदाय को नहीं मिल पता हैं।गहरान नाला चंद्रावल व मतौन्ध के तालाब में किये गए कामो पर विडियो के माध्यम से जानकरी साझ की गयी प्रक्रति द्वारा हमें उपहार स्वरुप पानी दिया हैं जल संरक्षण के लिए मेडबंदी वृक्षारोपण के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा ज़रूरत हैं जल शक्ति मंत्रालय द्वारा बुंदेलखंड क्षेत्र में जल जीवन मिशन व अटल भू जल योजना चलाई जा रही हैं जिसमे समुदाय की सहभागिता बहुत जरुरी हैं मनरेगा उपायुक श्री राघवेन्द्र तिवारी जी ने जल संचयन हेतु सर्कार द्वारा चाली जा रही विभिन्न प्रकार से पानी में काम किया जा रहा हैं जल संचयन के लिए मेडबंदी ज़रूरी हैं गाँव के किसान मेड बंदी के लिए ब्लाक में संपर्क कर मेडबंदी करा सकते हैं मेंरेगा में 265 कामो की सूची हैं जिसमें मछली पालन के लिए भी प्रसाशन द्वारा सहयोग किया जा रहा हैं।जल योध्दा जल ग्राम जखनी के  उमा शंकर पाण्डेय ने कहा की जीवन के सभी पक्षों में जल की ज़रूरत होती हैं सभी धर्मो में पानी की वन्दना की गयी हैं व पूजनीय हैं जो पानी को बचाएगा वही भविष्य में पैसा भी कमाएगा आज हम बोतल का पानी खरीद रहे हैं जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता हैं, की तीसरा युध्य पानी का होगा। 

 अतः पानी के लिए खेत में मेड और मेड पर पेड़ लगाना बहुत ज़रूरी हैं।किये गए प्रयासों में के अनुभवों को साझा करते हुए -

जन प्रतिनिधि के रूप में  ने यह आश्वाशन दिया की समुदाय की बातों एवं समस्याओं पर वे शासन प्रशासन के साथ बात करेंगे एवं इसके प्रभावी निदान के लिये संघर्ष करेंगे। 

आखिर में जन समुदाय ने शासन-प्रशासन के समक्ष जल संरक्षण एवं संवर्धन तथा वर्ष भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये अपनी 12 सूत्री मांग रखी। 

“कासा” एवं “लोक हकदारी मोर्चा” की पहल पर आयोजित किये गये इस साझा कार्यक्रम के आयोजन में   क्षेत्र के जन समुदाय का व्यापक सहयोग रहा । लोक हकदारी मोर्चा , जन अधिकारों के मोर्चे पर सक्रिय संगठनों और व्यक्तियों का साझा मंच है और 22 से अधिक जनपदों में जन समुदायों के आजीविका सशक्तिकरण, जेंडर भेदभाव को दूर करने जैसे मुद्दों पर कार्य कर रहा है। 

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